देश की मिट्टी (Desh ki Mitti) - Soil of the Nation पहला छंद: देश की मिट्टी, चंदन सी पावन, माथे पे लगाऊँ, बन जाऊँ मैं धावन। इसकी रक्षा में, जीवन अर्पण कर दूँ, भारत माँ की सेवा में, हर पल समर्पित रहूँ। दूसरा छंद: इस मिट्टी में जन्मे, वीर सपूत अनेक, जिनकी गाथा गाता, हर एक जन सेवक। भगत सिंह, गाँधी, नेहरू की यह धरती, त्याग और बलिदान की, अमर कहानी गढ़ती। तीसरा छंद: इस मिट्टी में खिले, रंग-बिरंगे फूल, भाईचारा, एकता का, अनुपम है मूल। हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सब यहाँ, मिलजुल कर रहते, जैसे एक परिवार महान। चौथा छंद: देश की मिट्टी, मेरी माँ का आँचल, इसकी रक्षा में, मैं हूँ अटल। हर कण में बसा, देशप्रेम का भाव, भारत माँ की जय, यही मेरा है ठाव।
प्यारी कहानी तेरे बिना हर सुबह होती है अधूरी, तेरे साथ बिताए लम्हे हैं जैसे एक नूरी। तू हो तो हर पल है खुशियों का संसार, तेरे बिना ये दिल है जैसे कोई वीरान बाजार। तेरे प्यार की महक से महकता है जहान, तू हो तो हर दिन होता है एक नया अरमान। तेरे बिना ये जीवन है जैसे एक किताब, जिसकी हर पन्ने पर है बस एक अधूरा ख्वाब। तेरे संग बिताए लम्हों की है बात अनमोल, तू ही है मेरी खुशियों का हर एक गोल। तेरे बिना सब कुछ लगता है बेमानी, तू ही है मेरे दिल की सबसे प्यारी कहानी। अब तुझमें है मेरी हर एक आस, तेरे बिना ये दिल है बिल्कुल उदास। प्यार की रौशनी से रोशन है ये दिल, तू ही है मेरा सब कुछ, तू ही है मेरा मिल। This poem beautifully expresses how love illuminates life, making it vibrant and meaningful, while the absence of the beloved creates a sense of emptiness and longing.