देश की मिट्टी (Desh ki Mitti) - Soil of the Nation
पहला छंद:
देश की मिट्टी, चंदन सी पावन, माथे पे लगाऊँ, बन जाऊँ मैं धावन। इसकी रक्षा में, जीवन अर्पण कर दूँ, भारत माँ की सेवा में, हर पल समर्पित रहूँ।
दूसरा छंद:
इस मिट्टी में जन्मे, वीर सपूत अनेक, जिनकी गाथा गाता, हर एक जन सेवक। भगत सिंह, गाँधी, नेहरू की यह धरती, त्याग और बलिदान की, अमर कहानी गढ़ती।
तीसरा छंद:
इस मिट्टी में खिले, रंग-बिरंगे फूल, भाईचारा, एकता का, अनुपम है मूल। हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सब यहाँ, मिलजुल कर रहते, जैसे एक परिवार महान।
चौथा छंद:
देश की मिट्टी, मेरी माँ का आँचल, इसकी रक्षा में, मैं हूँ अटल। हर कण में बसा, देशप्रेम का भाव, भारत माँ की जय, यही मेरा है ठाव।

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