सोचा के अब चल दूँ। खाली हाथ थे न कोई काम था, दिल में जुनून और जज्बा था। उमंग भी थी भरी-भरी, आखों में भी एक ख्वाब था। आंधियां भी चल पड़ी थी, राहें भी अब धुंधलाई थी। आँखों में आग थी और सोचा के अब चल दूँ। अरमानों के बवंडर में खुदको तलाश रहा था । किस्मत की अनचाही लकीरें छाँट रहा था। ना मंजिल का पता था ना कोई मक़ाम था। बस खुद में हौसला भरके, सोचा के अब चल दूँ। अब लहरें भी पर्वतों से टकरा रही थी, अब साहिल भी आसमां छुं रहा था। खामोशियाँ भी अब बरस रही थी, दिलमें एक एहसास चुभ रहा था। मैं अकेला किनारों पे बेजारसा, दस्तक दे रहा था। कश्ती भी अब हिचकोले खा रही थी, तभी सोचा के अब चल दूँ। ना बवंडर था, ना आंधियाँ अब सबकुछ शांत था। अब सिर्फ खुला आसमान और समंदर मुझे पुकार रहा था। .... और मैं अब चल दिया। -: नितिन कुमार :-
रोमांटिक हिंदी कविताएँ प्रेम और भावना की सबसे गहरी अभिव्यक्ति का माध्यम होती हैं। ये कविताएँ दिल के भीतर छिपे उन अनकहे जज़्बातों को शब्दों में पिरोने का एक अनूठा तरीका हैं, जिन्हें शायद कहना आसान नहीं होता। रोमांटिक कविताओं में प्रेमी-प्रेमिका के बीच का भावनात्मक संबंध, उनके प्यार का जादू, एक-दूसरे के बिना जीवन का अधूरापन, और साथ होने पर मिलने वाला सुकून बेहद खूबसूरती से उकेरा जाता है। इन कविताओं के माध्यम से प्यार की नाजुक और कोमल भावनाओं को बयान किया जाता है, जो दिल की गहराइयों तक छू जाती हैं।