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अजनबी सी रीत Ajnabi Si Reet

 अजनबी सी रीत



हर रात जब आँखें बंद करता हूँ,
तेरे साथ का सपना संजोता हूँ।
तू ही है मेरा जीवन का संगीत,
तेरे बिना दुनिया लगे अजनबी।

तेरे सपनों में हर लम्हा सजा है,
तेरे बिना दिल में एक खालीपन बसा है।
तू हो तो रातें लगें रोशन सितारों से,
तेरे बिना ये दिल भटकता है सवालों से।

तेरी हंसी में बसती है मेरे दिल की खुशी,
तेरे बिना ये जिंदगी लगती है एक बेबस कहानी।
तू हो तो सब कुछ है मेरे पास,
तेरे बिना हर पल है बेमानी और उदास।

तेरे साथ बिताए लम्हों का है इंतज़ार,
तेरे बिना ज़िन्दगी है जैसे कोई सूना विचार।
तेरे बिना हर सपना अधूरा लगता,
तेरे साथ हो तो दिल चैन से सोता।

अब हर रात तेरे साथ का सपना है मेरा जहाँ,
तेरे बिना कुछ भी नहीं है मेरी ज़िन्दगी का कारवां।
तू ही है मेरे दिल की हर धड़कन का गीत,
तेरे बिना ये दुनिया है बस एक अजनबी सी रीत।


This poem reflects the longing and dreams of being with the beloved, portraying how their presence brings music and meaning to life, while without them, everything feels unfamiliar and empty

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